इस संसारमे इक दो हि होते है
जो केवल पुण्य फल बोते है
शुभ कर्म छोड़कर कभी वो न सोते है
मनमे धारण कर उनको हम रोते है
यात्रा पथ उनका है सुगम सदा बहार
टूट न सकता कभी मनका अठोट अपार
अविरल शोभित रहे वो दुखियोको गलेमे हार
जगदीश करे सार्थक,मन्जिल उनके बारम्बार
सफल रहे हर पल जीवनमे उनका
ब्यक्त करू मै कैसे, ये उदगार है मनका
कभी न रहे कमि बर्चस्व मे,उसके उपबनका
बनि रहे उपर आस्था एबम् श्रद्धा बहुजनका
बनि रहे आस्था एबम् श्रद्धा बहुजनका
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