Thursday, August 23, 2012

तारे माम् श्रीकृष्ण !!




कलकल सलल सतह गामिनी



सलिल अनुरुप तरल बाहिनी



नजर अनुकुल ह्रिदय मोहिनी



भ्रबर मधुसुत सरस दोहिनी



(1)



लबण प्रतिरुप सागर यामिनी



चकोर बुभुक्षित प्रेयसी कामिनी



मधुर आलापित संगीत संगिनी



मालती सहचर सहज अंगिनी



(2)



बृहत धनुर्धर सुराघब शालिनी



जनक दुहितरी करुण भाषीणी



अजर अमर सुबैभब धारिणी



चरण शिरोपर पादुक तारिणी



(3)



जमुना तट पर साथ सुदामा



किशनचरित्तर कह्लायो नाना



असुर बिनाश गर्यो सब केतु



कृष्ण चरण मात्र विहंगम हेतु



(4)



शोडश शत गोपिनी पदयौबना



मदभोग लोलुप बंशिधर शोभना



जनम जनम कलुषनिवारण सेतु



कृष्ण चरण एक विहंगम हेतु

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